गौडी भैंसियों से भरयां रौंदा छाजू चौक गुठियार
कख हरची ह्वेळी दादु, गुठयारै बाखरियों की स्या डार।
फलाणु दादा कन लगांदू छौ बीच खोला बटी धै
तौं गोरु-बाखरों जंगलू हांडा, डांडियों घाम अछैन्दू हपार ।।

कखी लोग अफु-2 करी की अपणा गोर चरांदा छा
पर कै-कै गौं मा लुकारा पांत्या भी रख्या रांदा छा ।
देख्दा-देख्दी जंगलू मा, ह्वे जांदू छौ घांडियों कु घमणाट
खेल-खेल मा जंगलू मच जांदू छौ छोरों कु किकलाट ।।

गौं कु रतनु दादा घौर गयूं, छोड़ी की गोर तौंका सारा
पर छोरा मस्त ह्वेयाँ खेल मा, कैका गोर ? जूत्ता मारा ।
रतनु दादा कु एक ब्लद बघन कुमच्यारा दुमकी याली
अर खौलू बाद मा मासू तैकु, खून चुसिकी बाघन छोड़ी याली ।।

हल्कू-2 जब अन्ध्यरु लैगी होण, दादा ऐगी अपणा ब्लदू लैण
पर मिलणा नी छा तौंसणी ब्लद, जु द्वी छोरा गया छा गोर लैण ।
बाकी गोर-बाखरों लैकी, जब छोरा तपड मा पौंछि गैनी
रतनु दादन जोर करी पूछी, अबे छोरो मेरा ब्लद बाघन त नी खैनी ।।


रतनु दादा की बात सुणी की, छोरों का हड़गा काँपी गैनी
अबे छोरों ! क्या यांकू तुमारा भौरोसा मेरा ब्लद छोड्या रैनी ।
गोर बाखरा घौर छोड़ी, फिर छोरा वापस जंगल ब्लदू ढूंढ ऐनी
अर ब्लदू की ढूंढ मा झाड़ियों पेट अफु-2 कैकी कुचै गैनी ।।

ढूंढदा-ढूंढदी एक ब्लद त मिलेगी चरदू सड़की का धोरा
पर तबारियों दादा चिल्लेगी, ब्लद बाघन मारेली बे छोरा ।
दादा गुस्सन तिलबिलैगी! अब मीन बाघ मान्न, मैंमा बोलीगी छौ
आज मैमा बस याद बची छन, दादा बरषु पहली दुनिया छोडिकी चलगी छौ।।

# दिगम्बर डंगवाल