उक्री नी सकल्या जब तुम ये पहाड़
कख जैल्या जब नी सकेली स्या बूढ़ीयाण
कु होलू तैं खैरी की घड़ीमा तुम दगडी,हे जी !
चिंता न करा आज नी आला न सै,
पर या बूढ़ीयाण तौने लिजाण ।


नी पित्यावा तौं पुंगडियोमा इथगा
चुल्ला पर यकुली तुमन नी खुदयाण
हर कैमा तुमन सुधी नी रूसाण, हे जी !
चिंता न करा आज नी आला न सै,
पर या बूढ़ीयाण तौने लिजाण ।


तुम यख छन रूसाणा यूं पुंगडियोमा
अब कैन नी सुणण अर न कैन तुमके धै लगाण
पर सच्ची नी होला सुणणा उ देवता, हे जी !
चिंता न करा आज नी आला न सै,
पर या बूढ़ीयाण तौने लिजाण ।


पैलीत ज्युन्दा ज्युन्दी आला तुममा
तौंकी भी ह्वेगीन अब आश औलाद
नीतर मरयां मुक्क देखणत औला, हे जी !
चिंता न करा आज नी आला न सै,
पर या बूढ़ीयाण तौने लिजाण ।


# दिगम्बर डंगवाल