सोचणु छौं की सब्सिडीकू ट्रैक्टर सरकार से ल्यौ
अर गौं की बांझी पुंगडियोंकू माटू खंदरोली द्यौ।
पर डन्नु छौं लुकरा ओडो देखी, नहो पितृ पूजी द्यौ,
उंत औण नी तैन घौर पर शायद च ट्रैक्टरकू घघराट सूणी बौडी जौ ।।


पहाडू की समस्या या नी कि पुंगड़ी बांजी पड़ी रौ,
पर तैकी खोपड़ी ह्वे जान्द खराब, जो हैकू खंदरोली द्यौ।
भले कत्ती बरषु बटी पँचमी मा तैकु ओडो पूजदी ग्यौं,
अर आज डौर या हुंई की ट्रैक्टर देखी स्यू ओडा पर जाड़ नी धौरी द्यौ ।।


स्यूत बैठयूँ सैर मा अर कुड़ी पर धीबाड़ा लज्ञान गौं मा
पुंगडियों की झाड़ी काटी-2 मैं श्याल बड्यू दुमलियोँ मा ।
कमाई धमाई कुछ नी दीदा, माटू उलगाणु छौं जलडौ मा,
अर स्यू द्वी दिन घर ऐकी शेर बड्यू रैंदू यूं बांजी पुंगडियों मा ।।


मेरी कुड़ी का अग्वाडी-पिछवाडी छन तैकि पुंगड़ी दीदा,
कदगी दां बोलेली तैकु यूँ पुंगडियोंकु सांटू मैंसे लील्या ।
पर हे राम ! कसम खाई तैकि जन, गाँठ बाँधी च मन मा,
बांझी छनत मेरी छन, किले? तैकि जाणी ये फ्टलीत येन अफी कन्न ।।


बात भी तैकि सही च दीदा, मेरी फ्टलीत मैनेत कन्न,
हौले-पगारे भी अब तैसे इनमा क्या बात कन्न ।
स्यू सोचणु की पतानी कदगा होणु अनाज यख,
अब ट्रैक्टर लाण मिन भी सोचियाल, तैकि जुकड़ी कु धगदयाट तेज वैने कन्न ।।


# दिगम्बर डंगवाल