मेरी यादूम जैंकि कुदग्याली बाकी छन

मेरा स्विणोम स्यी आज भी गैल्या जन

बरषु छविंबात लगे भी लगणु, छविं अधूरी छन

कनकैकी बिंगौं कि, क्वीत बात रै होली ।


उलारया मन की स्याणी गाणी त्वेमा 

कान्दों का बोझ से पैली,मन का उबाल त्वेमा छन

भरोषू आज भी नी आणू मी, पर क्य कन

कनकैकी बिंगौं कि, क्वीत बात रै होली ।


देखणाकु त्वे न जाणी कत्ती बाना बणादू छौ

जाणु होन्दू छौ कै बाट अर न जाणी कै चली जांदू छौ

मिल्दी नीछै जब तै बाट, मेरी जुकड़ी कन झुरान्दी छै

कनकैकी बिंगौं कि, क्वीत बात रै होली ।


जाणुदु छौ, दुनिए लोक लाज अर शर्म त्वे

मेरा याद बडुली तेरी गौलीम कन नी रै होली

छटपटाणु त सूदी नी प्राण लगयूं पर,

कनकैकी बिंगौं कि, क्वीत बात रै होली ।


#दिगम्बर डंगवाल